भरी दोपहरी एक चिड़िया पानी की तलाश में भटक रही थी | जब चिड़िया बंद पानी के पाइप पर बैठकर इन्तिज़ार कर रही थी | कि कब नल चले और एक बूंद पानी कि मिल जाये क्यों कि ये प्यास है बड़ी ..............
आज राजधानी रायपुर से दस किलो मीटर स्थित नंदनवन पार्क गया था | वहा पर मैंने एक अलग नज़ारा देखा दो शेरो का जोड़ा पानी में गोता लगा रहा था | पर अचानक तीसरा शेर वहा आया और शेरो का जोड़ा उसे देखर पानी से बाहर आ गये मानो कोई राजा हो| और अपने भाईयो से कह रहा कि बहुत मस्ति कर लिए हो अब चलो पानी से बाहर निकलो
हम बच्चो की याद केवल १४ नवम्बर को बाकि साल भर हम क्या करते है ! चाहे व नेता हो या कोई महापुरुष हमे याद करने वाले नहीं होते फिर भी हमारे हौसले बुलद है और हमें इस हर गर्व है .......................